उस के चेहरे का अक्स पड़ता है
उस की बातें शुरूअ' होती हैं
आज-कल रात भर मिरे दिल में
कितनी सुब्हें तुलूअ' होती हैं
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1036) Peoples Rate This
सिर्फ़ कह दूँ कि नाव डूब गई
मिरी पत्थर आँखें
जिस दिन से अपना तर्ज़-ए-फ़क़ीराना छुट गया
सियाह लहू
माह-ओ-साल
दूरी
तजरीद
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
जब हवा शब को बदलती हुई पहलू आई
काश हम लोग लड़ गए होते
तन्हा