Ghazals of Nadeem Sirsivi

Ghazals of Nadeem Sirsivi
नामनदीम सिरसीवी
अंग्रेज़ी नामNadeem Sirsivi

ज़िंदा रहने की तलब इस लिए प्यारी न रही

सुरूर से अटे हुए ऐ मौसम-ए-विसाल रुक

शुऊर-ए-इश्क़ मिले रू-ए-दार रक़्स करूँ

सराब-ए-दिल से मुसलसल फ़रेब खा रहा हूँ

रियाज़तों की तपिश में रह कर पिघल रहा हूँ

मुस्तक़िल महव-ए-ग़म-ए-अहद-ए-गुज़िश्ता होना

मेरे कश्कोल में बस सिक्का-ए-रद है हद है

जैसे हों लाशें दफ़्न पुराने खंडर की बुनियाद तले

जब बढ़ा दर्द की मौजों का दबाव साहब

गिरफ़्त-ए-कर्ब से आज़ाद ऐ दिल हो ही जाऊँगा

इक ज़मीं-दोज़ आसमाँ हूँ मैं

एक हम ही नहीं तक़दीर के मारे साहब

दोबारा मो'जिज़ा हो जाएगा क्या

बयाज़-ए-कोहना में जिद्दत भरी तहरीर रखनी है

अरसा-ए-ख़्वाब से उठ हल्क़ा-ए-ता'बीर में आ

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