ये तमाशा-ए-इल्म-ओ-हुनर दोस्तो
कुछ नहीं है फ़क़त काग़ज़ी वहम है
Rahat Indori
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है तल्ख़-तर हयात इस शराब से
बात ये है कि बात कोई नहीं
लोग जन्नत में जा रहे होंगे
उस ने भी ख़ुद को बे-कनार किया
पस-ए-पर्दा बहुत बे-पर्दगी है
वहम है हस्त भी नीस्त भी वहम है
अपनी बे-ए'तिदालियों के सबब
कोई पल जी उठे अगर हम भी
कुछ ऐसा हो गया है यार अपना
दिल-ए-दरवेश की दुआ से उठा