तमाम-उम्र चला हूँ मगर चला न गया

तमाम-उम्र चला हूँ मगर चला न गया

तिरी गली की तरफ़ कोई रास्ता न गया

तिरे ख़याल ने पहना शफ़क़ का पैराहन

मिरी निगाह से रंगों का सिलसिला न गया

बड़ा अजीब है अफ़साना-ए-मुहब्बत भी

ज़बाँ से क्या ये निगाहों से भी कहा न गया

उभर रहे हैं फ़ज़ाओं में सुब्ह के आसार

ये और बात मिरे दिल का डूबना न गया

खुले दरीचों से आया न एक झोंका भी

घुटन बढ़ी तो हवाओं से दोस्ताना गया

किसी के हिज्र से आगे बढ़ी न उम्र मिरी

वो रात बीत गई 'नक़्श' रतजगा न गया

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In Hindi By Famous Poet Naqsh Layalpuri. is written by Naqsh Layalpuri. Complete Poem in Hindi by Naqsh Layalpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.