दरिया पे टीकरी से परे ख़ानक़ाह थी
तब तेरे मेरे प्यार की दुनिया गवाह थी
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(341) Peoples Rate This
हिजरतों में हूजुरियों के जतन
प्राण प्रीतम पे वार कर देखो
दिल मिटे प्यार की अपीलों पर
फिर यूँ हुआ कि मुझ से वो यूँही बिछड़ गया
दिल को जब आगही की आग लगे
उम्रों के बुझते मामूरे में
दिल पे थी सब्त जो तहरीर मिटाई न गई
बेकल है मुख निगाह में बोसों की प्यास है
रुत ने रिवायत के रुख़ बदले हर मसऊद सऊद गया
हसरत-ए-अहद-ए-वफ़ा बाक़ी है
तुझे पछाड़ न दें रौशनी में तेरे रफ़ीक़
दो एक साल ही इक से सराही जाती है