मेरे सीने में नहीं है तो ये समझो कि न था
पूछते क्या हो जो होता तो यहीं दिल होता
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(251) Peoples Rate This
हम तो मस्जिद से भी मायूस ही आए 'नातिक़'
ऐ दिल-ए-शिकवा-संज क्या गुज़री
हाँ ये तो बता ऐ दिल-ए-महरूम-ए-तमन्ना
आ उम्र-ए-रफ़्ता हश्र के दम-ख़म भी देख लें
इंतिज़ाम-ए-रोज़-ए-इशरत और कर ऐ ना-मुराद
मुझ को मालूम हुआ अब कि ज़माना तुम हो
अब कहाँ गुफ़्तुगू मोहब्बत की
देखता रहता हूँ अक्सर शाम-ए-क़ुदरत देख कर
मिल गए तुम हाथ उठा कर मुझ को सब कुछ मिल गया
हाँ जान तो देंगे मगर ऐ मौत अभी दम ले
है मरज़ तो जो कुछ है थी दवा तो जैसी थी
भर पाए जान-ए-ज़ार तिरी दोस्ती से हम