ज़िक्र-ए-शराब-ए-नाब पे वाइ'ज़ उखड़ गया
बोले थे अच्छी बात भले आदमी से हम
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
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आ गई दिल की लगी बढ़ के रग-ए-जाँ के क़रीब
हमारे ऐब में जिस से मदद मिले हम को
रक्खी हुई है सारी ख़ुदाई तिरे लिए
इज़्तिराब-ए-दिल में आ जा कर दवाम आ ही गया
अव्वल अव्वल ख़ूब दौड़ी कश्ती-ए-अहल-ए-हवस
क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल के
हँस के नहीं तो रो के भी उम्र गुज़र ही जाएगी
क्या करूँ ऐ दिल-ए-मायूस ज़रा ये तो बता
खा गई अहल-ए-हवस की वज़्अ अहल-ए-इश्क़ को
मिल गए तुम हाथ उठा कर मुझ को सब कुछ मिल गया
आख़िर को राहबर ने ठिकाने लगा दिया
ढूँढ तो बुत भी यहीं मिल जाएँगे मर्द-ए-ख़ुदा