ज़ंजीर-ए-जुनूँ कुछ और खनक हम रक़्स-ए-तमन्ना देखेंगे

ज़ंजीर-ए-जुनूँ कुछ और खनक हम रक़्स-ए-तमन्ना देखेंगे

दुनिया का तमाशा देख चुके अब अपना तमाशा देखेंगे

इक उम्र हुई ये सोच के हम जाते ही नहीं गुलशन की तरफ़

तुम और भी याद आओगे हमें जब गुल कोई खिलता देखेंगे

क्या फ़ाएदा ऐसे मंज़र से क्यूँ ख़ुद ही न कर लें बंद आँखें

इतनी ही बढ़ेगी तिश्ना-लबी हम आप को जितना देखेंगे

तुम क्या समझो तुम क्या जानो फ़ुर्क़त में तुम्हारी दीवाने

क्या जानिए क्या क्या देख चुके क्या जानिए क्या क्या देखेंगे

होने दो अंधेरा आज की शब गुल कर दो चराग़ों के चेहरे

हम आज ख़ुद अपनी महफ़िल में दिल अपना ही जलता देखेंगे

'नौशाद' हम उन की महफ़िल से इस वास्ते उठ कर आए हैं

परवानों का जलना देख चुके अब अपना तड़पना देखेंगे

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In Hindi By Famous Poet Naushad Ali. is written by Naushad Ali. Complete Poem in Hindi by Naushad Ali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.