यार के आगे पढ़ा ये रेख़्ता जा कर 'नज़ीर'
सुन के बोला वाह-वाह अच्छा कहा अच्छा कहा
Gulzar
Rahat Indori
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(375) Peoples Rate This
जो पूछा मैं ने याँ आना मिरा मंज़ूर रखिएगा
देख अक़्द-ए-सुरय्या हमें अंगूर की सूझी
सनम के कूचे में छुप के जाना अगरचे यूँ है ख़याल दिल का
अभी कहें तो किसी को न ए'तिबार आवे
रुख़ परी चश्म परी ज़ुल्फ़ परी आन परी
धुआँ कलेजे से मेरे निकला जला जो दिल बस कि रश्क खा कर
जब मैं सुना कि यार का दिल मुझ से हट गया
बंदे के क़लम हाथ में होता तो ग़ज़ब था
गर ऐश से इशरत में कटी रात तो फिर क्या
कहते हैं जिस को 'नज़ीर' सुनिए टुक उस का बयाँ
हम देखें किस दिन हुस्न ऐ दिल उस रश्क-ए-परी का देखेंगे
आग़ोश-ए-तसव्वुर में जब मैं ने उसे मस़्का