ये जवाहिर-ख़ाना-ए-दुनिया जो है बा-आब-ओ-ताब
अहल-ए-सूरत का है दरिया अहल-ए-मा'नी का सराब
Allama Iqbal
Gulzar
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मय पी के जो गिरता है तो लेते हैं उसे थाम
गए हम जो उल्फ़त की वाँ राह करने
सहर हम ने चमन-अंदर अजब देखा कल इक दिलबर
हैं दम के साथ इशरत ओ उसरत हज़ार-हा
ख़याल-ए-यार सदा चश्म-ए-नम के साथ रहा
जिस्म क्या रूह की है जौलाँ-गाह
दिल देख उसे जिस घड़ी बे-ताब हुआ
अदा के तौसन पर उस सनम को जो आज हम ने सवार देखा
गो सफ़ेदी मू की यूँ रौशन है जूँ आब-ए-हयात
रुख़ परी चश्म परी ज़ुल्फ़ परी आन परी
दीवानगी मेरी के तहय्युर में शब-ओ-रोज़
इक दम की ज़िंदगी के लिए मत उठा मुझे