गर न समझा तो 'नीरज' लगेगी कठिन
ज़िंदगी को जो समझा तो आसान है
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तुम्हारे ज़ेहन में गर खलबली है
नहीं है अरे ये बग़ावत नहीं है
याद हर पल तुझ को करने का सिला पाने लगा
मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें
अजब ये दौर आया है कि जिस में
तुम से मिल कर देर तलक
नज़ाकत है न ख़ुशबू और न कोई दिलकशी ही है
अब रिश्तों में गहराई
इधर ये ज़बाँ कुछ बताती नहीं है
मुझे रास वीरानियाँ आ गई हैं
मुश्किलों में मुस्कुराना सीखिए