घुटन तड़पन उदासी अश्क रुस्वाई अकेला-पन
बग़ैर इन के अधूरी इश्क़ की हर इक कहानी है
Parveen Shakir
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अजब ये दौर आया है कि जिस में
दर्द दिल में मगर लब पे मुस्कान है
तुम्हारे ज़ेहन में गर खलबली है
आप आँखों में बस गए जब से
इधर ये ज़बाँ कुछ बताती नहीं है
सोचता हूँ ये सोच कर मैं उसे
ज़बान पर सभी की बात है फ़क़त सवार की
नहीं है अरे ये बग़ावत नहीं है
नज़ाकत है न ख़ुशबू और न कोई दिलकशी ही है
मुझे रास वीरानियाँ आ गई हैं
मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें