सोचता हूँ ये सोच कर मैं उसे
वो भी ऐसे ही सोचता है मुझे
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(393) Peoples Rate This
अब रिश्तों में गहराई
तुम से मिल कर देर तलक
बा'द मुद्दत के वो मिला है मुझे
है जिन के बाज़ुओं में दम वो दरिया पार कर लेंगे
बात सच-मुच में निराली हो गई
ज़बान पर सभी की बात है फ़क़त सवार की
मुझे रास वीरानियाँ आ गई हैं
नज़ाकत है न ख़ुशबू और न कोई दिलकशी ही है
इधर ये ज़बाँ कुछ बताती नहीं है
गर न समझा तो 'नीरज' लगेगी कठिन
मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें
मुश्किलों में मुस्कुराना सीखिए