तुम से मिल कर देर तलक
अच्छी लगती तन्हाई
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जिए ख़ुद के लिए गर हम मज़ा तब क्या है जीने में
गर न समझा तो 'नीरज' लगेगी कठिन
आप आँखों में बस गए जब से
मुझे रास वीरानियाँ आ गई हैं
अब रिश्तों में गहराई
बात सच-मुच में निराली हो गई
याद हर पल तुझ को करने का सिला पाने लगा
घुटन तड़पन उदासी अश्क रुस्वाई अकेला-पन
मुश्किलों में मुस्कुराना सीखिए
अजब ये दौर आया है कि जिस में
है जिन के बाज़ुओं में दम वो दरिया पार कर लेंगे