डाल दीं भूके को जिस में रोटियाँ
वह समझ पूजा की थाली हो गई
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मुश्किलों में मुस्कुराना सीखिए
बा'द मुद्दत के वो मिला है मुझे
इधर ये ज़बाँ कुछ बताती नहीं है
सोचता हूँ ये सोच कर मैं उसे
गर न समझा तो 'नीरज' लगेगी कठिन
अब रिश्तों में गहराई
नज़ाकत है न ख़ुशबू और न कोई दिलकशी ही है
है जिन के बाज़ुओं में दम वो दरिया पार कर लेंगे
तुम से मिल कर देर तलक
नहीं है अरे ये बग़ावत नहीं है
जिए ख़ुद के लिए गर हम मज़ा तब क्या है जीने में