धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
Anwar Masood
Wasi Shah
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
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सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
एक तस्वीर
रिश्तों का ए'तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
नज़्म बहुत आसान थी पहले
मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें
मशीन
रात के बा'द नए दिन की सहर आएगी
किसी भी शहर में जाओ कहीं क़याम करो
कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है
बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ
क़ौमी यक-जेहती