तआरुफ़

अजल, इन से मिल,

कि ये सादा-दिल

न अहल-ए-सलात और न अहल-ए-शराब,

न अहल-ए-अदब और न अहल-ए-हिसाब,

ना अहल-ए-किताब

न अहल-ए-किताब और न अहल-ए-मशीन

न अहल-ए-ख़ला और न अहल-ए-ज़मीन

फ़क़त बे-यक़ीन

अजल, इन से मत कर हिजाब

अजल, इन से मिल!

बढ़ो, तुम भी आगे बढ़ो

अजल से मिलो,

बढ़ो, नौ-तवंगर गदाओ

न कश्कोल-ए-दरयूज़ा-गर्दी छुपाओ

तुम्हें ज़िंदगी से कोई रब्त बाक़ी नहीं

अजल से हँसो और अजल को हँसाओ!

बढ़ो बंदगान-ए-ज़माना बढ़ो बंदगान-ए-दिरम

अजल ये सब इंसान मनफ़ी हैं

मनफ़ी ज़ियादा हैं इंसान कम

हो इन पर निगाह-ए-करम

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In Hindi By Famous Poet Noon Meem Rashid. is written by Noon Meem Rashid. Complete Poem in Hindi by Noon Meem Rashid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.