रौशनी भर ख़ला पे बार थे हम

रौशनी भर ख़ला पे बार थे हम

धुँद मंज़र पस-ए-ग़ुबार थे हम

धूप में आए तो सुकून मिला

छाँव में थे तो दाग़दार थे हम

कोई दस्तक न कोई आहट थी

मुद्दतों वहम के शिकार थे हम

बुत-गरी में हुनर भी शामिल था

संग-साज़ी से होशियार थे हम

क़र्ज़ कोई भी जिस्म ओ जाँ पे न था

ज़िंदगी पर मगर उधार थे हम

ज़ुल्मतें तो चराग़-ए-ख़ेमा थीं

ख़ल्वतों के गुनाहगार थे हम

फ़िक्र ओ मअ'नी तलाज़मे तश्बीह

ऐ ग़ज़ल तेरे जाँ-निसार थे हम

'रिंद' था बेकसी का लुत्फ़ अजीब

घर में रह कर भी बे-दयार थे हम

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In Hindi By Famous Poet P P Srivastava Rind. is written by P P Srivastava Rind. Complete Poem in Hindi by P P Srivastava Rind. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.