तुम्हारा कहना है
तुम मुझे बे-पनाह शिद्दत से चाहते हो
तुम्हारी चाहत
विसाल की आख़िरी हदों तक
मिरे फ़क़त मेरे नाम होगी
मुझे यक़ीं है मुझे यक़ीं है
मगर क़सम खाने वाले लड़के!
तुम्हारी आँखों में एक तिल है!
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वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर
बदन के कर्ब को वो भी समझ न पाएगा
अपनी रुस्वाई तिरे नाम का चर्चा देखूँ
तेरे पैमाने में गर्दिश नहीं बाक़ी साक़ी
डसने लगे हैं ख़्वाब मगर किस से बोलिए
नहीं मेरा आँचल मैला है
रफ़ाक़तों का मिरी उस को ध्यान कितना था
गए जनम की सदा
सभी गुनाह धुल गए सज़ा ही और हो गई
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
एक मंज़र