हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
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शुगून
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई
क़दमों में भी तकान थी घर भी क़रीब था
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
नहीं नहीं ये ख़बर दुश्मनों ने दी होगी
एक मंज़र
ज़िंदगी मेरी थी लेकिन अब तो
ये हवा कैसे उड़ा ले गई आँचल मेरा
हवा महक उठी रंग-ए-चमन बदलने लगा
गुलाब हाथ में हो आँख में सितारा हो