सहमे सहमे दिलों में हिम्मत जागी
ग़ैरत ने झिंझोड़ा तो मशक़्क़त जागी
महकूमी की नींद का शिकंजा टूटा
वो देखो पौ फटी वो बग़ावत जागी
Allama Iqbal
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Anwar Masood
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Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
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इस्मत पे तिरी निसार होना है मुझे
अभी से सुब्ह-ए-गुलशन रक़्स-फ़रमा है निगाहों में
याद हैं आप के तोड़े हुए पैमाँ हम को
ये ताज के साए में ज़र-ओ-सीम के ख़िर्मन
बुत-गरी-ए-जमाल में गुज़रा
सख़्त-जाँ वो हूँ कि मक़्तल से सर-अफ़राज़ आया
बे-चेहरगी
ज़ुल्मत का तिलिस्म तोड़ कर लाया हूँ
शिकायत कर रहे हैं सज्दा-हा-ए-राएगाँ मुझ से
मौक़ा-ए-यास कभी तेरी नज़र ने न दिया
ब़ाँबी
होंटों को शराब अब पिला दे साक़ी