वक़्त-ए-निकाह हम भी थे दूल्हा बने हुए
बुलवाया औरतों ने सलामी के वास्ते
हम रुख़्सती के वक़्त यही कह के चल पड़े
लाई हयात आए क़ज़ा ले चली चले
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Gulzar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2750) Peoples Rate This
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
नया बंजारा-नामा
इस मर्तबा भी आए हैं नंबर तिरे तो कम
चालाक
क़ुर्बानी
गले-बाज़ शायर
आठवाँ शौहर
शिकारी
नौकर
अनोखे कारनामे
मुल्ला-जी की बीवी का जवाब
इलेक्शन