जब मैं ने तुम्हारा जिस्म छुआ
मिरे अंदर कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ
औरों की बेताब छुवन में
फिर मुझ जैसा
फिर तुम जैसा
कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ
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हम वक़्त के सहरा में
एक नज़्म
दर्दमंदी
नज़्म कहने के बा'द
रुस्तगारी
वायरस
कोई कुछ नहीं?
मुक्ती
मोहब्बत
बे-ज़मीरी
मैं ने देखा
आख़िरी डाइरी