असलम आज़ाद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असलम आज़ाद

असलम आज़ाद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असलम आज़ाद
नामअसलम आज़ाद
अंग्रेज़ी नामAslam Azad

सिलसिला रोने का सदियों से चला आता है

रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं

फेंका था किस ने संग-ए-हवस रात ख़्वाब में

न दश्त ओ दर से अलग था न जंगलों से जुदा

मैं ने अपनी ख़्वाहिशों का क़त्ल ख़ुद ही कर दिया

कोई दीवार सलामत है न अब छत मेरी

किसी तरह न तिलिस्म-ए-सुकूत टूट सका

हज़ार बार निगाहों से चूम कर देखा

हमारे बीच वो चुप-चाप बैठा रहता है

दोस्तों के साथ दिन में बैठ कर हँसता रहा

धूप के बादल बरस कर जा चुके थे और मैं

अपना मकान भी था उसी मोड़ पर मगर

ज़हर

सज़ा

कतबा

अंजाम

आहट

यादों का लम्स ज़ेहन को छू कर गुज़र गया

वो क्या है कौन है ये तो ज़रा बता मुझ को

वक़्त का कुछ रुका सा धारा है

उड़ते लम्हों के भँवर में कोई फँसता ही नहीं

रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं

कोई दीवार सलामत है न अब छत मेरी

किश्त-ए-दिल वीराँ सही तुख़्म-ए-हवस बोया नहीं

कहीं पे क़ुर्ब की लज़्ज़त का इक़्तिबास नहीं

कहीं पे क़ुर्ब की लज़्ज़त का इक़्तिबास नहीं

जगमगाती ख़्वाहिशों का नूर फैला रात भर

हर सू है तारीकी छाई तुम भी चुप और हम भी चुप

हमारी याद उन्हें आ गई तो क्या होगा

बस एक बार उसे रौशनी में देखा था

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