किसी तरह न तिलिस्म-ए-सुकूत टूट सका
वो दे रहा था बहुत दूर से सदा मुझ को
Anwar Masood
Habib Jalib
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Rahat Indori
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न दश्त ओ दर से अलग था न जंगलों से जुदा
आँखों से मैं ने चख लिया मौसम के ज़हर को
ज़हर
कहीं पे क़ुर्ब की लज़्ज़त का इक़्तिबास नहीं
दोस्तों के साथ दिन में बैठ कर हँसता रहा
रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं
अपना मकान भी था उसी मोड़ पर मगर
हमारे बीच वो चुप-चाप बैठा रहता है
वक़्त का कुछ रुका सा धारा है
धूप के बादल बरस कर जा चुके थे और मैं
सज़ा