इक लम्हा-ए-विसाल था वापस न आ सका

इक लम्हा-ए-विसाल था वापस न आ सका

वो वक़्त की मिसाल था वापस न आ सका

हर इक को अपना हाल सुनाने से फ़ाएदा

मेरा जो हम-ख़याल था वापस न आ सका

शायद मिरे फ़िराक़ में घर से चला था वो

ज़ख़्मों से पाएमाल था वापस न आ सका

शायद हुजूम-ए-सदमा-ए-फ़ुर्क़त के घाव से

वो इस क़दर निढाल था वापस न आ सका

शायद मैं उस को देख के सब को भुला ही दूँ

उस को ये एहतिमाल था वापस न आ सका

कितने ख़याल रूप हक़ीक़त का पा गए

जो मरकज़-ए-ख़याल था वापस न आ सका

मुझ को मिरे वजूद से जो कर गया जुदा

कैसा वो बा-कमाल था वापस न आ सका

हर दम 'रईस' वो तो नज़र के है सामने

तेरा तो ये ख़याल था वापस न आ सका

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In Hindi By Famous Poet Raees Warsi. is written by Raees Warsi. Complete Poem in Hindi by Raees Warsi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.