कामयाबी का है 'रईस' इम्काँ
गर मुरत्तब अमल के ख़ाके हों
उफ़ बयानात की ये गूँज-गरज
जिस तरह एटमी धमाके हों
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सफ़र में कोई रुकावट नहीं गदा के लिए
बता क्या क्या तुझे ऐ शौक-ए-हैराँ याद आता है
शिकवा करने से कोई शख़्स ख़फ़ा होता है
हब्स के आलम में महबस की फ़ज़ा भी कम नहीं
कल रात कई ख़्वाब-ए-परेशाँ नज़र आए
मुक़र्रेबीन में रम्ज़-आशना कहाँ निकले
अब दिल की ये शक्ल हो गई है
दयार-ए-शाहिद-ए-बिल्क़ीस-अदा से आया हूँ
तुम ऐ रईस! अब न अगर और मगर करो
माना कि तू सवार है और मैं पियादा हूँ
अहरमन है न ख़ुदा है मिरा दिल