रईस फ़रोग़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रईस फ़रोग़ (page 2)

रईस फ़रोग़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रईस फ़रोग़ (page 2)
नामरईस फ़रोग़
अंग्रेज़ी नामRais Farogh
जन्म की तारीख1926
मौत की तिथि1982
जन्म स्थानKarachi

कितनी ही बारिशें हों शिकायत ज़रा नहीं

कितनी ही बारिशें हों शिकायत ज़रा नहीं

किसी किसी की तरफ़ देखता तो मैं भी हूँ

कह रहे थे लोग सहरा जल गया

जू-ए-ताज़ा किसी कोहसार-कुहन से आए

जंगल से आगे निकल गया

हवस का रंग ज़ियादा नहीं तमन्ना में

हवा ने बादल से क्या कहा है

हाथ हमारे सब से ऊँचे हाथों ही से गिला भी है

हमा-वक़्त जो मिरे साथ हैं ये उभरते डूबते साए से

गीत के बाद भी गाए जाऊँ

घर मुझे रात भर डराए गया

घर में सहरा है तो सहरा को ख़फ़ा कर देखो

गर्म ज़मीं पर आ बैठे हैं ख़ुश्क लब-ए-महरूम लिए

गलियों में आज़ार बहुत हैं घर में जी घबराता है

फ़ज़ा उदास है सूरज भी कुछ निढाल सा है

फ़ज़ा मलूल थी मैं ने फ़ज़ा से कुछ न कहा

इक अपने सिलसिले में तो अहल-ए-यक़ीं हूँ मैं

दुनिया का वबाल भी रहेगा

धूप में हम हैं कभी हम छाँव में

देर तक मैं तुझे देखता भी रहा

अपनी मिट्टी को सर-अफ़राज़ नहीं कर सकते

अपने ही शब ओ रोज़ में आबाद रहा कर

आँखों के कश्कोल शिकस्ता हो जाएँगे शाम को

आँखें जिन को देख न पाएँ सपनों में बिखरा देना

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