जितनी बटनी थी बट चुकी ये ज़मीं
अब तो बस आसमान बाक़ी है
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ग़म बिक रहे थे मेले में ख़ुशियों के नाम पर
मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा
दरवाज़े के अंदर इक दरवाज़ा और
ग़म को दिल का क़रार कर लिया जाए
रंग मौसम का हरा था पहले
बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे
हर एक साँस ही हम पर हराम हो गई है
शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
किया ईजाद जिस ने भी ख़ुदा को
सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले
जो कहीं था ही नहीं उस को कहीं ढूँढना था
ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा