बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ
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दुनिया से, जिस से आगे का सोचा नहीं गया
दिल भी बच्चे की तरह ज़िद पे अड़ा था अपना
इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी
जुस्तुजू का इक अजब सिलसिला ता-उम्र रहा
किया ईजाद जिस ने भी ख़ुदा को
क्या जाने किस जहाँ में मिलेगा हमें सुकून
दिल भी इक ज़िद पे अड़ा है किसी बच्चे की तरह
जाने कितनी उड़ान बाक़ी है
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ
किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता
जिस को भी देखो तिरे दर का पता पूछता है
बुलंदी के लिए बस अपनी ही नज़रों से गिरना था