वो ख़ुश किसी के साथ हैं ना-ख़ुश किसी के साथ
हर आदमी की बात है हर आदमी के साथ
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(560) Peoples Rate This
'रसा' को दिल में रखते हैं 'रसा' के जानने वाले
आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले
बअ'द-ए-फ़ना भी ख़ैर से तन्हा नहीं हैं हम
दिल में किसी को रक्खो दिल में रहो किसी के
आए अगर क़यामत तो धज्जियाँ उड़ा दें
बड़ी ही धूम से दावत हो फिर तो ज़ाहिद की
साक़ी जो दिए जाए ये कह कर कि पिए जा
आने को नज़र में मिरी सौ फ़ित्ना-गर आए
दुश्मन की बात जब तिरी महफ़िल में रह गई
जी चाहा जिधर छोड़ दिया तीर अदा को