ये सर-ब-मोहर बोतलें हैं जो शराब की
रातें हैं उन में बंद हमारी शबाब की
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मेरे पहलू में हमेशा रही सूरत अच्छी
बहार आते ही फूलों ने छावनी छाई
जो थे हाथ मेहंदी लगाने के क़ाबिल
अगर उन के लब पर गिला है किसी का
ले गया घर से उन्हें ग़ैर के घर का ता'वीज़
कल क़यामत है क़यामत के सिवा क्या होगा
जफ़ा में नाम निकालो न आसमाँ की तरह
ख़्वाब में भी नज़र आ जाए जो घर की सूरत
गुल मुरक़्क़ा' हैं तिरे चाक गरेबानों के
मेरे घर में ग़ैर के डर से कभी छुप जाइए
हाथ रक्खा मैं ने सोते में कहाँ
पी के ऐ वाइज़ नदामत है मुझे