जल थल का ख़्वाब था कि किनारे डुबो गया
तन्हा कँवल भी झील से बाहर निकल पड़ा
Anwar Masood
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
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अधूरी नस्ल का पूरा सच
होने की इक झलक सी दिखा कर चला गया
ख़ुश्क पत्तों में किसी याद का शोला है 'सईद'
सब करिश्मे तअल्लुक़ात के हैं
वही ख़राबा-ए-इम्काँ वही सिफ़ाल-ए-क़दीम
ज़ात की काल कोठरी से आख़िरी नश्रिया
खुलता है यूँ हवा का दरीचा समझ लिया
सफ़र ला सफ़र
बद-गुमान
ज़वाल के आईने में ज़िंदा अक्स
निस्फ़ हिज्र के दयार से
शोरिश-ए-वक़्त हुई वक़्त की रफ़्तार में गुम