सलीम अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलीम अहमद (page 5)
नाम | सलीम अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Saleem Ahmed |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1983 |
जन्म स्थान | Karachi |
जो आँखों के तक़ाज़े हैं वो नज़्ज़ारे बनाता हूँ
जिस का इंकार भी इंकार न समझा जाए
जाने किसी ने क्या कहा तेज़ हवा के शोर में
जा के फिर लौट जो आए वो ज़माना कैसा
इश्क़ में जिस के ये अहवाल बना रक्खा है
इश्क़ और नंग-ए-आरज़ू से आर
इश्क़ और इतना मोहज़्ज़ब छोड़ कर दीवाना-पन
इस आँख में ख़्वाब-ए-नाज़ हो जा
हम हैं और राह-ए-कू-ए-बदनामी
हर आँख का हासिल दूरी है
एक ख़ुश्बू दिल-ओ-जाँ से आई
दुख दे या रुस्वाई दे
दिलों में दर्द भरता आँख में गौहर बनाता हूँ
दिल के अंदर दर्द आँखों में नमी बन जाइए
दिल हुस्न को दान दे रहा हूँ
दीदनी है हमारी ज़ेबाई
देखने के लिए इक शर्त है मंज़र होना
बज़्म आख़िर हुई शम्ओं' का धुआँ बाक़ी है
बन के दुनिया का तमाशा मो'तबर हो जाएँगे
बजा ये रौनक़-ए-महफ़िल मगर कहाँ हैं वो लोग
बैठे हैं सुनहरी कश्ती में और सामने नीला पानी है
अहल-ए-दिल ने इश्क़ में चाहा था जैसा हो गया
आज तो नहीं मिलता ओर-छोर दरिया का
आँखों में सितारे से चमकते रहे ता-देर
आ के अब जंगल में ये उक़्दा खुला