सलीम अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलीम अहमद (page 3)
नाम | सलीम अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Saleem Ahmed |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1983 |
जन्म स्थान | Karachi |
चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती
बुरा लगा मिरे साक़ी को ज़िक्र-ए-तिश्ना-लबी
बार-हा यूँ भी हुआ तेरी मोहब्बत की क़सम
बहुत तवील मिरी दास्तान-ए-ग़म थी मगर
बदन की आग को कहते हैं लोग झूटी आग
और तो क्या दिया बहारों ने
आँसुओं से तू है ख़ाली दर्द से आरी हूँ मैं
आ के अब जंगल में ये उक़्दा खुला
सफ़र
राख
पागल
नुक़्ता
नींद से पहले
नया मकान
मेरा दुश्मन
मेरा चेहरा
मशरिक़ हार गया
खेल
जिन
एक दरवाज़े पर
दिया
अब
आँखें
आफ़ाक़
ज़िंदगी मौत के पहलू में भली लगती है
ये ख़्वाब और भी देखेंगे रात बाक़ी है
वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई
वो लोग भी हैं जो मौजों से डर गए होंगे
वस्ल ओ फ़स्ल की हर मंज़िल में शामिल इक मजबूरी थी
उम्र भर काविश-ए-इज़हार ने सोने न दिया