एक क़याफ़े के माहिर ने मुझ से कहा
गहरी चालें चलना
और दुनिया को धोके में रखना
आसान नहीं है
लेकिन तू चाहे तो ये कर सकता है
तेरा चेहरा
इक हँसमुख
अहमक़
का चेहरा है
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Gulzar
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न जाने शेर में किस दर्द का हवाला था
जाने अंदर क्या हुआ मैं शोर सुन कर ऐ 'सलीम'
कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं
तिरी जानिब से दिल में वसवसे हैं
बज़्म आख़िर हुई शम्ओं' का धुआँ बाक़ी है
मैं तुझ को कितना चाहता हूँ
स्वाँग भरता हूँ तिरे शहर में सौदाई का
याद ने आ कर यकायक पर्दा खींचा दूर तक
जो बात दिल में थी वो कब ज़बान पर आई
इश्क़ और इतना मोहज़्ज़ब छोड़ कर दीवाना-पन
दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ
बैठे हैं सुनहरी कश्ती में और सामने नीला पानी है