सलीम अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलीम अहमद (page 2)
नाम | सलीम अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Saleem Ahmed |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1983 |
जन्म स्थान | Karachi |
मैं वो मअ'नी-ए-ग़म-ए-इश्क़ हूँ जिसे हर्फ़ हर्फ़ लिखा गया
मैं तुझ को कितना चाहता हूँ
मैं ग़म को बसा रहा हूँ दिल में
लिबास-ए-दर्द भी हम ने उतारा
कोई नहीं जो पता दे दिलों की हालत का
किसी को क्या बताऊँ कौन हूँ मैं
ख़ुश-नुमा लफ़्ज़ों की रिश्वत दे के राज़ी कीजिए
ख़ुद अपनी दीद से अंधी हैं आँखें
ख़मोशी के हैं आँगन और सन्नाटे की दीवारें
कौन तू है कौन मैं कैसी वफ़ा
कैसे क़िस्से थे कि छिड़ जाएँ तो उड़ जाती थी नींद
जितना आँख से कम देखूँ
जिस आग से दिल सुलग रहे थे
जाने अंदर क्या हुआ मैं शोर सुन कर ऐ 'सलीम'
इतनी काविश भी न कर मेरी असीरी के लिए
हम ने शिकवा कभी किया न करें
हाल-ए-दिल ना-गुफ़्तनी है हम जो कहते भी तो क्या
हाल-ए-दिल कौन सुनाए उसे फ़ुर्सत किस को
हाल मत पूछ मोहब्बत का हवा है कुछ और
घास में जज़्ब हुए होंगे ज़मीं के आँसू
घर में कुछ कम है ये एहसास भी होता है 'सलीम'
इक पतिंगे ने ये अपने रक़्स-ए-आख़िर में कहा
इक आग सी जलती रही ता-उम्र लहू में
दुख दे या रुस्वाई दे
दिल के लेने से 'सलीम' उस को नहीं है इंकार
दिल जो इस बज़्म में आता है तो जाता ही नहीं
दिल हुस्न को दान दे रहा हूँ
देवता बनने की हसरत में मुअल्लक़ हो गए
दश्त ओ दर ख़ैर मनाएँ कि अभी वहशत में
दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ