वो चाँद टूट गया जिस से रात रौशन थी
चमक रहे थे फ़लक पर जो सब सितारे गए
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Wasi Shah
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(495) Peoples Rate This
दीद के बदले सदा दीदा-ए-तर रक्खा है
खो दिए हैं चाँद कितने इक सितारा माँग कर
ग़मों की आग पे सब ख़ाल-ओ-ख़द सँवारे गए
अँधेरे को निगलता जा रहा हूँ
कहीं आँखें कहीं बाज़ू कहीं से सर निकल आए
हर क़दम आगही की सम्त गया
शाख़-दर-शाख़ तिरी याद की हरियाली है
बस लौट आना
सहमे नहीफ़ दरिया के धारे की बात कर
शाम ढलते ही तिरे ध्यान में आ जाता हूँ