सलमान अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलमान अख़्तर (page 2)

सलमान अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलमान अख़्तर (page 2)
नामसलमान अख़्तर
अंग्रेज़ी नामSalman Akhtar
जन्म स्थानUSA

वो पास रह के भी मुझ में समा नहीं सकता

तेग़ खींचे हुए खड़ा क्या है

रह गया कम ही गो सफ़र बाक़ी

मैं तुझ से लाख बिछड़ कर यहाँ वहाँ जाता

क्या दिखाता है ये सफ़र देखो

कुछ तो मैं भी डरा डरा सा था

किसी क़िस्मत में एक घर निकला

ख़्वाबों के आसरे पे बहुत दिन जिए हो तुम

खुल के बातें करें सुनाएँ सब

कैसे हो क्या है हाल मत पूछो

कहो तो आज बता दें तुम्हें हक़ीक़त भी

कभी ख़्वाबों में मिला वो तो ख़यालों में कभी

जीना अज़ाब क्यूँ है ये क्या हो गया मुझे

झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो

जागते में भी ख़्वाब देखे हैं

हम जो पहले कहीं मिले होते

दोस्ती कुछ नहीं उल्फ़त का सिला कुछ भी नहीं

दर्द जब शाएरी में ढलते हैं

दाइम सराब इक मिरे अंदर है क्या करूँ

बे-वज्ह ज़ुल्म सहने की आदत नहीं रही

आए हैं घर मिरा सजाने दर्द

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