कैसे हो क्या है हाल मत पूछो
मुझ से मुश्किल सवाल मत पूछो
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कहो तो आज बता दें तुम्हें हक़ीक़त भी
बे-वज्ह ज़ुल्म सहने की आदत नहीं रही
वो पास रह के भी मुझ में समा नहीं सकता
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत न हो मगर
देखे जो मेरी नेकी को शक की निगाह से
रह गया कम ही गो सफ़र बाक़ी
ख़्वाबों के आसरे पे बहुत दिन जिए हो तुम
ख़ाली बरामदों ने मुझे देख कर कहा
आए हैं घर मिरा सजाने दर्द
ये तमन्ना है कि अब और तमन्ना न करें
हम जो पहले कहीं मिले होते
झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो