देखे जो मेरी नेकी को शक की निगाह से
वो आदमी भी तो मिरे अंदर है क्या करूँ
Anwar Masood
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Gulzar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(697) Peoples Rate This
क्या दिखाता है ये सफ़र देखो
किसी क़िस्मत में एक घर निकला
चाँद सूरज की तरह तुम भी हो क़ुदरत का खेल
झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो
जिस से सारे चराग़ जलते थे
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत न हो मगर
ये तमन्ना है कि अब और तमन्ना न करें
बे-वज्ह ज़ुल्म सहने की आदत नहीं रही
कैसे हो क्या है हाल मत पूछो
कोई शय एक सी नहीं रहती
तेग़ खींचे हुए खड़ा क्या है
दोस्ती कुछ नहीं उल्फ़त का सिला कुछ भी नहीं