फिर वो बरसात ध्यान में आई
तब कहीं जान जान में आई
फूल पानी में गिर पड़े सारे
अच्छी जुम्बिश चटान में आई
रौशनी का अता-पता लेने
शब-ए-तीरा जहान में आई
रक़्स-ए-सय्यार्गां की मंज़िल भी
सफ़र-ए-ख़ाक-दान में आई
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पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर
पूरे चाँद की सज धज है शहज़ादों वाली
पेपर-वेट
अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो
मिरे सीने में दिल है या कोई शहज़ादा-ए-ख़ुद-सर
दिन और झाग
'सरवत' तुम अपने लोगों से यूँ मिलते हो
घर से निकला तो मुलाक़ात हुई पानी से
यक-ब-यक मंज़र-ए-हस्ती का नया हो जाना
दस से ऊपर
बहता हुआ पानी