धूप
और
दूरियों के दरमियाँ
एक आवाज़ सुनाई देती है
जैसे मछली
सियाह जाल से बे-ख़बर
सुनहरी परों से
.....पानी काटती है
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Habib Jalib
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नींद का फ़रिश्ता
सख़ावत का फ़रिश्ता
पानी का हाथ
पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर
सुब्ह के शहर में इक शोर है शादाबी का
सुब्ह के शोर में नामों की फ़रावानी में
सुब्ह होते ही
पत्थरों में आइना मौजूद है
शादमानी का फ़रिश्ता
मैं सो रहा था और मिरी ख़्वाब-गाह में
किताब-ए-सब्ज़ ओ दर-ए-दास्तान बंद किए
मैं किताब-ए-ख़ाक खोलूँ तो खुले