शादमानी के फ़रिश्ते
सुब्ह में चेहरा है किस का
झिलमिलाती शाम क्या है
चमन में वो जो आती है
उस परी का नाम कया है
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
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रात ढलने के ब'अद क्या होगा
तेरी आशुफ़्ता-मिज़ाजी ऐ दिल
पेपर-वेट
नज़्म
दश्त ले जाए कि घर ले जाए
एक पुल बनाया जा रहा है
सियाही फेरती जाती हैं रातें बहर ओ बर पे
अपने लिए तज्वीज़ की शमशीर-ए-बरहना
नींद का फ़रिश्ता
भर जाएँगे जब ज़ख़्म तो आऊँगा दोबारा
आश्नाई का फ़रिश्ता
लफ़्ज़ों के दरमियान