आश्नाई के फ़रिश्ते
उन ज़मीनों का पता दे
जो मिरी मानिंद तन्हा
हिज्र का दुख सह रही हैं
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
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पूरे चाँद की सज धज है शहज़ादों वाली
रात ढलने के ब'अद क्या होगा
पानी का हाथ
दिन और झाग
ये जो रौशनी है कलाम में कि बरस रही है तमाम में
सफ़ीना रखता हूँ दरकार इक समुंदर है
कभी तेग़-ए-तेज़ सुपुर्द की कभी तोहफ़ा-ए-गुल-ए-तर दिया
देखा जो उस तरफ़ तो बदन पर नज़र गई
बहता हुआ पानी
निस्यान का फ़रिश्ता
आँखों में दमक उट्ठी है तस्वीर-ए-दर-ओ-बाम
अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो