आँखों में दमक उट्ठी है तस्वीर-ए-दर-ओ-बाम
ये कौन गया मेरे बराबर से निकल कर
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पेपर-वेट
पहनाए-बर-ओ-बहर के महशर से निकल कर
मिलना और बिछड़ जाना किसी रस्ते पर
पानी का हाथ
जाने उस ने क्या देखा शहर के मनारे में
भर जाएँगे जब ज़ख़्म तो आऊँगा दोबारा
सख़ावत का फ़रिश्ता
उसी किनारा-ए-हैरत-सरा को जाता हूँ
विसाल
ख़ुश-लिबासी है बड़ी चीज़ मगर क्या कीजे
यक-ब-यक मंज़र-ए-हस्ती का नया हो जाना
आश्नाई का फ़रिश्ता