बला जाने किसी की हिज्र में इस दिल पे क्या गुज़री

बला जाने किसी की हिज्र में इस दिल पे क्या गुज़री

करे सय्याद क्यूँ पर्वा किसी बिस्मिल पे क्या गुज़री

निसार-ए-शमअ' हो जाना तो परवाने की फ़ितरत है

न पूछो ख़ाक होने से मिरे महफ़िल पे क्या गुज़री

शबिस्तान-ए-मुसर्रत में जो महव-ए-ऐश-ओ-इशरत हैं

उन्हें इस का पता क्या रहरव-ए-मंज़िल पे क्या गुज़री

जुनून-ए-क़ैस पर हँसते तो हैं अक़्ल-ओ-ख़िरद वाले

किसे मा'लूम है ख़ुद लैली-ए-महमिल पे क्या गुज़री

उसे ऐ काश ये मा'लूम हो जाए किसी सूरत

कि उस की बे-रुख़ी से 'क़ादरी' के दिल पे क्या गुज़री

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In Hindi By Famous Poet Shaghil Qadri. is written by Shaghil Qadri. Complete Poem in Hindi by Shaghil Qadri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.