ये किस के सोज़ का है बज़्म-ए-जाँ में इंतिज़ार ऐ दिल

ये किस के सोज़ का है बज़्म-ए-जाँ में इंतिज़ार ऐ दिल

कि आहें आज सू-ए-आलम-ए-बाला नहीं जातीं

उमीदें जब मिरी बढ़ आईं तो हँस कर लगे कहने

ये बरसों क़ैद दिल में रह के क्यूँ घबरा नहीं जातीं

नहीं गुस्ताख़ आईना मुक़ाबिल है खड़ा कोई

ये हैराँ है कि क्यूँ आँखें तिरी शर्मा नहीं जातीं

खड़ा हूँ इंतिज़ार-ए-यार में जूँ शाख़-ए-नर्गिस मैं

मुझे हैरत है क्यूँ आँखें मिरी पथरा नहीं जातीं

तिरे गुलशन में तारों की बहार इक है अजब जादू

ये कलियाँ फूल बन कर ऐ फ़लक कुम्हला नहीं जातीं

'हुमायूँ' तेरा दिल भी गुलशन-ए-हसरत का नग़्मा है

ख़ुशी में भी तिरी बातें वो ग़म-अफ़ज़ा नहीं जातीं

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In Hindi By Famous Poet Shah Deen Humayun. is written by Shah Deen Humayun. Complete Poem in Hindi by Shah Deen Humayun. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.