लगा न दिल को तू अपने किसी से देख 'नसीर'
बुरा न मान कि इस में नहीं भला दिल का
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ज़ुल्फ़ का क्या उस की चटका लग गया
सुपर रखता हूँ मैं भी आफ़्ताबी साग़र-ए-मय की
मैं ज़ोफ़ से जूँ नक़्श-ए-क़दम उठ नहीं सकता
जिगर का जूँ शम्अ काश या-रब हो दाग़ रौशन मुराद हासिल
देखोगे कि मैं कैसा फिर शोर मचाता हूँ
दैर-ओ-काबा में तफ़ावुत ख़ल्क़ के नज़दीक है
लगा जब अक्स-ए-अबरू देखने दिलदार पानी में
देख तू यार-ए-बादा-कश! मैं ने भी काम क्या किया
टाँकों से ज़ख़्म-ए-पहलू लगता है कंखजूरा
मुल्ला की दौड़ जैसे है मस्जिद तलक 'नसीर'
ख़याल-ए-ज़ुल्फ़-ए-दूता में 'नसीर' पीटा कर
ग़ुरूर-ए-हुस्न न कर जज़्बा-ए-ज़ुलेख़ा देख