लगाई किस बुत-ए-मय-नोश ने है ताक उस पर
सुबू-ब-दोश है साक़ी जो आबला दिल का
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(411) Peoples Rate This
हाथों को उठा जान से आख़िर को रहूँगा
शराब लाओ कबाब लाओ हमारे दिल को न अब घटाओ
कर के आज़ाद हर इक शहपर-ए-बुलबुल कतरा
ग़रज़ न फ़ुर्क़त में कुफ़्र से थी न काम इस्लाम से रहा था
की है उस्ताद-ए-अज़ल ने ये रुबाई मौज़ूँ
ये चर्ख़-ए-नीलगूँ इक ख़ाना-ए-पुर-दूद है यारो
इस दिल को हम-कनार किया हम ने क्या किया
बयाबाँ मर्ग है मजनून-ए-ख़ाक-आलूदा-तन किस का
दिल को किस सूरत से कीजे चश्म-ए-दिलबर से जुदा
जब कि ले ज़ुल्फ़ तिरी मुसहफ़-ए-रुख़ का बोसा
ऐ ख़ाल-ए-रुख़-ए-यार तुझे ठीक बनाता
ये अब्र है या फ़ील-ए-सियह-मस्त है साक़ी